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Aarti Shiv Ji KI |
आरती शिव जी की
ॐ जय शिव ओमकारा , प्रभु हर शिव ओमकारा ,
ब्रह्मा, विष्णु , सदाशिव अर्धांगी धारा | जय |
एकानन , चतुरानन पंचानन साजे,
हंसानन , गरुड़ासन , वृषवाहन साजे | जय |
दो भुज चार चतुर्भुज देश भुज ते सोहे,
तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे | जय |
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ,
कंदन मृगमद लोचन भाले शशिधारी | जय |
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ,
सनकादिक बृह्मादिक भूतादिक संगे | जय |
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।,
प्रणवाक्षर के मध्ये यह तीनो एका | जय |
त्रिगुण शिव जी की आरती जो कोई नर गावे ,
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे | जय |
आरती शिव जी की
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July 30, 2018
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