आरती सरस्वती माँ की
आरती कीजे सरस्वती जी की ,
जननि विद्या, बुद्धि , भक्ति की | टेक |
जाकी कृपा कुमति मिट जाये ,
सुमिरन करत सुमति गति आये ,
शुक सनकादिक जासु गुण गाये ,
वाणी रूप अनादि शक्ति की | |आरती कीजे ०| |
नाम जपत भ्रम छूट दिए के ,
दिव्य दृष्टि शिशु उधर हिय के |
मिलहि दर्श पावन सिय पिय के,
उड़ाई सुरभि युग -युग कीर्ति की ||आरती कीजे०||
रचित जासु बल वेद पुराणा ,
जेते ग्रन्थ रचित जगनाना |
तालु छंद स्वर मिश्रित गाना ,
जो आधार कवि यति सति की | |आरती कीजे ०| |
सरस्वती की वीणा वाणी कला जननि की ||
आरती सरस्वती माँ की
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November 29, 2018
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