Latest

गुरु द्रोणाचार्य और धनुर्धर एकलव्य का मंदिर। ग्रेटर नॉएडा के दनकौर कस्बे में बना हुआ है।

गुरु द्रोणाचार्य और धनुर्धर एकलव्य का मंदिर। 


इतिहास की एक झलक । 

महाभारत काल के समय जब गुरु द्रोणाचार्य पांडवों को शिक्षा दे रहे थे तब एक भील जाति का एक युवक भी गुरु द्रोणाचार्य जी से धनुर्विधा सीखने की इच्छा करता है मगर गुरु द्रोणाचार्य उसे मना कर देते हैं। इसके बाद भी वह युवक हिम्मत नहीं हारता और गुरु द्रोणाचार्य की एक मूर्ति बनाकर उस मूर्ति को ही अपना गुरु मानकर धनुर्विधा सीखने लगता है। एक दिन गुरु द्रोणाचार्य जी उन्हें देख लेते हैं और समझ जाते हैं कि यह तो एक महान धनुर्धर है, गुरु द्रोणाचार्य एकलव्य से अपनी गुरु दक्षिणा में उसका सीधे हाथ का अंगूठा मांग लेते हैं, एकलव्य को यह बहुत अच्छी तरह से मालूम था की इसके बाद वह श्रेष्ठ धनुर्धर कभी नहीं बन पायेगा फिर भी वह गुरु दक्षिणा में अपना अंगूठा काट कर गुरु द्रोणाचार्य जी को अर्पण कर देता है।  यही है इस वीर धनुर्धर की संछिप्त कहानी। 



मंदिर का स्थान।

यह मंदिर बहुत प्राचीन है। अगर इस मंदिर की संरक्षण समिति की माने तो यह मंदिर बहुत प्राचीन है और यहाँ पर आज भी वही मूर्ति लगी है जो स्वयं एकलव्य ने बनाई थी। एकलव्य और गुरु द्रोणाचार्य जी की याद में ही इस मंदिर का निर्माण करवाया था। 


यह मंदिर ग्रेटर नॉएडा के दनकौर कस्बे में बना हुआ है।  दिल्ली से इसकी दुरी लगभग 40 किलोमीटर हो सकती है। दिल्ली से आगरा जाते समय "एक्सप्रेस वे" से जाया जा सकता है। इसके पास ही आजकल फार्मूला 1 कार रेस स्टेडियम भी बना हुआ है।

गौशाला। 

मंदिर प्रांगण के साथ ही समिति ने गौशाला बनाई गई है जिसमे बहुत सारी और सभी प्रकार की गौ और गौधन
पाला जाता है।

गुरु द्रोणाचार्य का मंदिर। 

यहाँ पर गुरु द्रोणाचार्य जी का मंदिर बनाया गया है जिसमें उनकी खड़ी मूर्ति लगाई गई है।

एकलव्य पार्क और मूर्ति। 

मंदिर के प्रांगण में बहुत ही सुंदर पार्क बनाया गया है जिसका नाम एकलव्य पार्क है और इसी पार्क में धनुर्धर एकलव्य की भव्य मूर्ति बनाई गई है।

मेले का आयोजन। 

हर वर्ष यहाँ पर एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे सभी प्रकार की खाने-पीने और सामान की दुकाने लगाई जाती है और बहुत श्रद्धालु आते है।  इस दौरान यहाँ पर कुश्ती का दंगल भी करवाया जाता है।







No comments