आरती सत्यनारायण जी की
Aarti Satyanarayan Ji ki
जय श्री लक्ष्मी रमणा, जय श्री लक्ष्मी रमणा |
सत्यनारायण स्वामी , जन पाताक हरणा | जय |
रतन जटित सिहांसन , अद्धभुत छवि राजे |
नारद करत निराजन , घंटा ध्वनि बाजे | जय |
प्रकट भये कलिकारन , द्विज को दरशन दियो |
बूढ़ो ब्राह्मण बनके , कंचन महल कियो | जय |
दुर्बल भील कराल , जिन पर कृपा करी |
चंद्रचूड़ एक राजा तिनकी विपत्ति हरी | जय |
वैश्य मनोरथ पाया , शृद्धा ताज दीन्ही |
सो फल भोग्यो प्रभु जी , फिर आसुति कीन्ही | जय |
भाव भक्ति के कारण , छिन छिन रूप धरयो |
शृद्धा धारण कीनी , तिनको काज सरयो | जय |
ग्वाल बाल संग राजा , बन में भक्ति करी |
मनवाँछित फल दीन्हो , दीनदयालु हरी | जय |
चढ़त प्रसाद सवाओ , कदली फल मेवा |
धुप दीप तुलसी से , राजी सत्यदेवा | जय |
श्री सत्यनारायण जी की , आरती जो कोई नर गावे |
भगतदास मनवाँछित सुखसम्पति पावे | जय |
Aarti Satynarayan Ji Ki
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December 28, 2018
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