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भारत का सबसे बड़ा और पवित्र गंगा स्नान का घाट है हरिद्वार। आप अपने वंश और कुल की पिछली सभी पीढ़ियों की जानकारी ले सकते हैं हरिद्वार में बैठे पंडों से।


हरिद्वार के पौराणिक इतिहास पर एक नजर।

हरिद्वार उत्तराखंड का एक प्रमुख शहर है जो कि नगर निगम के तहत है। पहले यह उत्तरप्रदेश राज्य का भाग था मगर बाद में इसे उत्तरप्रदेश की राज्य सरकार और भारत सरकार ने उत्तराखंड में सम्मिलित कर दिया। हिन्दुओं के सात पवित्र स्थानों में से एक हरिद्वार भी है। हरिद्वार हिन्दुओं की माँ गँगा के प्रति आस्था का केंद्र भी है। मां गँगा अपने मुख्य स्रोत (गोमुख) से निकलकर लगभग 253 किलोमीटर की पर्वती दूरी तय करने के बाद हरिद्वार में पहुँचती है। यहीं से गँगा मैया अपने पर्वती स्थान को पूरा करके मैदानी इलाकों में प्रवेश करती है। 



समुन्द्र मंथन।

हिन्दुओं की प्राचीन कथाओं के अनुसार जब समुन्द्र का मंथन हुआ था तब धन्वन्तरी देव मंथन से निकले अमृत को एक घड़े में भरकर ले जा रहे थे तब मुख्य रूप से चार स्थानों पर उस अमृत की कुछ बूँदे गिर गई थीं और वो स्थान हैं-

1) उज्जैन
2) प्रयाग
3) नासिक
4) हरिद्वार।

इस हिसाब से कहा जाता है की यहाँ पर गँगा अमृत के समान है। इन्ही चारों पवित्र स्थानों पर प्रत्येक 3 वर्ष बाद महाकुंभ मनाया जाता है और 12 वर्ष बाद एक चक्र पूरा हो जाता है। इस बार यह महाकुंभ 2019 में प्रयागराज में मनाया गया जिसमे देश विदेश से करोड़ों लोगों ने गँगा मैया में आस्था की डुबकी लगाई। इस बार भारत सरकार ने इसे बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जो कि देश-विदेशों में काफी सुर्खिओं में भी आया। 

हर की पौड़ी।

यहाँ पर एक स्थान का नाम है "हर की पौड़ी" यह स्थान बहुत ही पवित्र माना  जाता है और भक्तों का मानना है कि यहीं पर उस अमृत की बूँद गिरी थी। कहा जाता है कि यहाँ पर स्नान करने से सभी पाप दूर हो जाते हैं और मनुष्य मोक्ष प्राप्त करता है इसलिए प्रत्येक गँगा स्नान के अवसर पर यहां पर लाखों भक्त स्नान के लिए आते हैं। 

हिन्दुओं की वंशावली पंजिका। 

सभी हिन्दुओं की अपनी वंशावली भी यहीं पर बनाई जाती है। यहाँ  के पंडितों द्वारा सभी का पंजिकरण किया जाता है और इन्ही पंडितों को पंडा भी कहते हैं। यदि आपके मन में अपने वंश के बारे में जानने की इच्छा है तो आप यहाँ पर जाकर इन पंडों से अपने वंश से सभी सदस्यों का पूर्ण ब्यौरा ले सकते हैं। परिवार में प्रत्येक जन्म, शादी और मृत्यु का यहाँ पर पूर्ण ब्यौरा होता है और सभी समय-समय पर अपने वंश के बारे में जानकारी लेते और देते रहते हैं।

शिक्षण संस्थान। 

हरिद्वार प्राचीन काल से ही शिक्षा के लिए प्रसिद्ध रहा है और आज भी यहाँ पर अनेकों शिक्षण संस्थान चल रहे हैं। जिनमें से कुछ नाम नीचे दिए गए हैं। 

1) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की।  (IIT Rurkee )
2) गुरुकुल कांगड़ी विश्विद्यालय। 
3) विश्व संस्कृत विधालय। 
4) चिन्मय डिग्री कॉलेज। 
5)पतंजलि योगपीठ एवं शिक्षण संस्थान। 



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माता मंदिर, अनंगपुर, फरीदाबाद, हरियाणा।

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